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सती और शिव
सती और शिव
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2007 |
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 4970
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आईएसबीएन :81-7508-407-3 |
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सती और शिव की कथा....
Sati Aur Shiv-A Hindi Book by Anant Pai - सती और शिव - अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
शिव के विवाह की कथा केवल एक कहानी नहीं है। हिन्दू जीवन दर्शन के अनुसार सृष्टि के संचालन में प्रकृति एवं पुरुष इन दो तत्त्वों की प्रधानता है। और शिव-विवाह इसी प्रकृति एवं तत्त्व के सम्पूर्ण विलय की कथा है। शिव (पुरुष) वह ईश्वरीय चेतना है जो केवल शक्ति (प्रकृति) के सहयोग से संसार का सृजन और संहार कर सकती है। इसलिए विष्णु तथा अन्य देवता इस बात के लिए उत्सुक थे कि शिव विवाह कर लें।
यजुर्वेद के दो एक स्थानों के अतिरिक्त अन्य कहीं वेदों में शिव शब्द नहीं आता। किंतु शिव के दूसरे नाम रुद्र को अनेक स्थलों पर ईश्वरीय चेतना का प्रतीक बताया गया है।
सती की कथा एक वैदिक धारणा को सहज मानवीय ढंग से अपने पूरे सत्य और सौंदर्य के साथ हमारे समक्ष प्रस्तुत कराती है।
सती और शिव
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा योगिराज शिव को विवाह बँधन में बाँधना चाहते थे। भगवान विष्णु ने उन्हें सलाह दी कि उमा से प्रार्थना की जाये कि वह पृथ्वी पर अवतार लेकर शिव की पत्नी बने।
ब्रह्मा ने सलाह मान ली उमा ने ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में जन्म लिया।
इसका नाम सती रखेंगे।
नन्ही सी उम्र से ही सती शिव की परम भक्त बन गयी।
सती कहा है ?
वह देखिए हमेशा की तरह ही भगवान शिव की पूजा में मग्न है ।
सती बड़ी हो गयी।
हमारी बेटी कितनी सुन्दर लगती है हमें उसकी ही तरह योग्य और सुन्दर वर खोजना होगा।
सच तीनों लोकों में जो सबके योग्य पुरुष होगा हम उसी से अपनी बेटी ब्याहेंगे।
कुछ दिन नारद मुनि के साथ ब्रह्मा दक्ष से मिलने आये ।
बेटी परमपूज्य गुरुजनों को प्रणाम करो।
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